भारत में मनोरंजन सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन का मुख्य अंग है। यह श्रव्य-दृश्य माध्यम जितना प्रभावशाली है,उतने ही इसके स्रोत बढ़ चुके हैं। सिनेमा,टीवी,इंटरनेट वीडियो के संदर्भ में भारत अग्रणी है।
पिछले 3-4 दशक से टीवी शोज ने दर्शकों को अपने सम्मोहन में बांध रखा है और सिनेमा के मुकाबले इसकी पहुंच व्यापक है। आज खेल,खबरें,मनोरंजन,सिनेमा आदि विभिन्न विषय सामग्री टीवी पर उपलब्ध है। यह परिवर्तन लाने वाली ताकतें स्थानीय से लेकर विश्व स्तरीय हैं। भारत इंटरनेट सुविधा सम्पन्न युवा राष्ट्र है। यहां एकसमान रूप से मांग बनी रहती है, क्योंकि हमारा बाजार ऐसा नहीं रहा,जहां उपभोक्ता कम हो और आपूर्ति ज्यादा,बल्कि यहां उपभोक्ता ज्यादा हैं,लेकिन सबके पास थोड़ा नेट है। पहली बार एंसा हुआ है कि इंटरनेट आधारित तकनीकों के संदर्भ में काफी हद तक आय एवं वर्ग के बीच का अंतर खत्म हो गया। इसका श्रेय जाता है जियो को, जिसने व्यापक पहुंच के जरिये जन-जन तक इंटरनेट पहुंचाया। नतीजा यह हुआ कि हर उपभोक्ता को फायदा हुआ और मीडिया के उपभोग स्वरूप में आया बदलाव जगजाहिर है।
सवाल यह है कि क्या दर्शकों का टीवी से ज्यादा ओवर द टाॅप(ओटीटी) चैनलों की ओर रूझान बदले भारत की नई तस्वीर है? या फिलहाल ऐसा कहना जल्दबाजी होगी,क्योंकि हो सकता है आंकड़े भारत जैसे बड़े दर्शक बाजार के बारे में सही स्थिति न बता पाएं।
अक्टूबर 2020 की एक रिपोर्ट के अनुसार,देश की करीब आधी जनसंख्या के पास इंटरनेट सुविधा है। इनमें से 90 प्रतिशत से ज्यादा उपभोक्ता स्मार्ट फोन पर नेट चलाते हैं। मोटे तौर पर यह उत्तरी अमरीका और पश्चिमी यूरोप के इंटरनेट उपभोक्ताओं की कुल संख्या के बराबर है। भारत में डेटा यूसेज वास्तव में अधिक है!
इन प्लैटफाॅम्र्स में डिजनी हाॅटस्टार के पास खेल प्रसारण के अधिकार हैं। अमेजन और नेट फ्लिक्स ओरिजनल रचना दिखाते हैं। मैक्स प्लेयर विज्ञापन लेता है। जी 5 व अन्य क्षेत्रीय कंटेंट को ज्यादा तरजीह दे रहे हैं।
2021 के लिए बेन ईवान की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, डिज्नी,नेटफ्लिक्स,काॅमकास्ट,यूट्यूब व अन्य सालाना कंटेंट पर करीब 10 बिलिययन डाॅलर का बजट ले कर चलते हैं। एप एनालिटिक्स प्लैटफाॅर्म एप एनी के अनुसार 2020 में भारतीयों ने फोन पर प्रतिदिन 4.6 घंटे बिताए जबकि 2019 में 3.3 घंटे। स्ट्रीमिंग चैनल भारत में विकास की अपार संभावनाएं देख रहे हैं,चीन ने तो वैसे भी उनके व्यवसाय के लिए अपने दरवाजे बंद कर रखे हैं। नेटफ्लिक्स ने 2019 व 2020 में भारतीय कंटेंट के लिए 400 मिलियन पाउंड का निवेश किया जबकि भारत का उनकी वैश्विक उपस्थिति में काफी कम योगदान है लेकिन भारत से नेट फ्लिक्स को वैश्विक इस्तेमाल के लिए पुरस्कार योग्य कंटेंट मिला है। ओटीटी के अगले 100 मिलियन सब्सक्राइबर पाने के लिए बड़े स्ट्रीमिंग चैनलों में चल रही प्रतिस्पद्र्धा के बीच भारत प्रयोगों,बाजार अविष्कारों,कीमतों एवं रियायतों का साक्षी बन रहा है। कुछ लोगों का मानना है कि ओटीटी के कंटेंट रचने वाले केवल एक छोटे से वर्ग पर ही फोकस कर रहे हैं, जिसकी सोच पाश्चात्य या वैश्विक है। क्या यह सारे भारतीयों को एक ही प्रकार से लुभा पाएगा?
माना कि इस क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं जो समय के साथ सामने आएंगी लेकिन ऐसा नहीं लगता कि भारत में जल्द ही यह पैसा कमाने की मशीन बन जाएगा। यू ट्यूब और मैक्स प्लेयर के सर्वाधिक उपभोक्ता हैं। हाॅटस्टार इस मामले में नेटफ्लिक्स से आगे है। (हाॅटस्टार का शुल्क पांच गुना कम है तो दर्शक भी 6-8 गुना ज्यादा हैं)। नेटफ्लिक्स इंडिया एपीएसी में अपने औसत शुल्क का आधा ही भारत में वसूलता है। अन्य स्ट्रीमर्स के शुल्क भी कम है। ज्यादा दर्शकोें तक पहुंच बनाने के लिए सस्ते और मोबाइल विशिष्ट प्लान उपलब्ध हैं।
भारत में क्रीमी लेयर बढ़ रही है तो साथ ही निचला तबका भी ऊपर उठ रहा है। इसलिए ग्रामीण इलाकों में बड़ा बाजार उभरने की संभावना है,जहां अभी तक टीवी ही नया आकर्षण माना जाता था। हालांकि अमरीका की ही तरह भारत में भी टीवी और ओटीटी समानांतर रूप से साथ चलते रहेंगे। प्रिंट का भी भविष्य उज्ज्वल है। इसके अलावा ओटीटी के लिए नियमन से कंटेंट रचियताओं को थोड़ी मुश्किल आ सकती है। इस प्रकार हम त्रिस्तरीय माध्यमों के साक्षी होंगे-ओटीटी, टेलीविजन और क्षेत्रीयं कंटेेट माध्यम।